Agra. In this throat cutting competition, even students are so much depressed that they are attempting suicides. One such case came into light last Sunday. A student of class eighth tried to hang herself in her room. It was her family farsightedness that she was taken into hospital on time. Such suicide attempt cases bound us to think where our education system taking us to. The system is depressing students rather than educating them. The syllabus is getting tougher every year. Students are forced to participate in each and every activity irrespective of their likes and dislikes. The school management says that such activities are necessary for students' overall development. With huge syllabus and pressure of activities student's find themselves in the confusing situations whether to fair in studies or in activities.
Friday, April 13, 2012
Sunday, February 26, 2012
दिलचस्प चुनाव चिन्ह
आगरा में असेम्बली इलेक्शन की डेट 28 Feb. घोषित हो गयी है. सभी पार्टी के प्रत्याशी चुनावी प्रचार करने में व्यस्त r आज जब चुनावी प्रचार का अंतिम दिन था तो सभी ने अभी पूरी ताकत उसमे झोंक दी। सभी अपने समर्थकों के काफिले के साथ रोड पर निकल पड़े। प्रत्याशियों का लोगों से जनसंपर्क के दौरान वोट के लिए अपील करना देखना दिलचस्प रहा। उससे भी ज़यादा दिलचस्प है इन प्रत्याशी के चुनाव चिन्ह। किसी का चुनाव चिन्ह है हैंडपंप है तो किसी का बाल्टी। किसी का गैस सिलेंडर है तो किसी का बिजली का खंबा। मुझे तो यह लगता है कि सत्ता में आने के बाद यह लोग जनता से बाल्टियों में पानी भरवाएंगे और बिजली के लिये तर्सायेंगे। अगर इससे भी मन नहीं भरा तो लोगों को दो टाइम का खाना भी नसीब नहीं होने देंगे, क्योंकि गैस सिलेंडर भी समय से नहीं मिल पायेगा ।
पोलिओ फ्री इंडिया
कई सालों बाद एक रहत की खबर आयी है. World Health Organization ने इंडिया को पोलिओ मुक्त देश घोषित कर दिया है। पिछले एक साल से देश में पोलिओ का कोई केस नहीं सामने आया है। आखिरी केस Howarh में 2011 में देखा गया था। इयर 2009 में 741 और 2010 में 42 लोग पोलिओ से ग्रसित पाए गए थे। मगर अभी भी पोलिओ की खुर्राक बच्चों को पिलानी ही होगी नहीं तो यह बीमारी फिर से फ़ैल सकती है। इयर 1978 में पोलिओ की खुर्राक शुरू की गयी थी। तब यह Expanded प्रोग्राम इन Immunistaion के अंतर्गत सुरु किया गया था। 1985 में Universal Immunisation प्रोग्राम के तेहत यह पूरे देश में लॉन्च कर दिया गया। इयर 1987 में 28,757 केसेस से घट कर 1995 में 3,265 पोलिओ के केसेस ही सामने आये। इयर 1988 में शत प्रतिशत पोलिओ के सफाए के लिए Pulse Polio Immunisation Programme और Universal Immunisation Programme को लॉन्च किया गया। आख़िरकार इयर 2012 में World Health Organization ने इंडिया को पोलिओ मुक्त देश घोषित कर दिया। मगर अभी भी पाकिस्तान देश की तरफ से पोलिओ के लगातार केसेस आ रहे हैं। यह केसेस अभी भी Pulse Polio Immunisation Programme के लिए एक challenge बने हुए हैं। इन केसेस को खत्म करने के लिए नयी strategy बनानी होगी।
Wednesday, June 24, 2009
Wastage of water
एक और जहाँ दुनिया में पानी का हाहाकार मचा हुआ है वहीं दूसरी और इसकी फिसुलखर्ची भी खूब हो रहीं है। आगरा जैसे शहर में हर साल गर्मियों में पानी की किल्लत रहती है वहीं दूसरी ओरे यहाँ 'रेन डांस' भी हर साल होता है। जल संस्थान शहरवासियों को पीने का पानी मुहईया कराने में असमर्थ है, जनता को थोड़े से पानी के लिए जगह-जगह जाना पड़ता है, ऐसे में हमारे कैंट एरिया में एक नामी क्लब में हाल ही में हुए ' रेन डांस' में हजारों लीटर पानी की बर्बादी हुई, यह कहाँ तक उचित है? यह पानी भी हार्ड वाटर नहीं बल्कि सॉफ्ट वाटर था, क्योंकि उस 'रेन डांस' में बड़े-बड़े लोग और उनके बच्चे जो हिस्सा थे। माना जा रहा है कि इस डांस में करीब एक टैकर सॉफ्ट वाटर बरबाद हुआ है। अब जरा आप ही सोचीये अगर यह पानी शहरवासियों को मुहइयां कराया जाता तो इसका बेहतर इस्तेमाल हो पाता।
यह रेन डांस की संस्कृति कौनसे देश में चलती है? अगर रेन डांस का इतना ही शौक है तो मानसून आने का इंतज़ार तो करते, लेकिन नहीं मानसून में तो लोग घर से निकलना ही पसंद नहीं करते, और इस तपती गर्मीं में पानी को बर्बाद करके कुछ समय मौज करना ज्यादा अच्छा समझते हैं।
यह रेन डांस की संस्कृति कौनसे देश में चलती है? अगर रेन डांस का इतना ही शौक है तो मानसून आने का इंतज़ार तो करते, लेकिन नहीं मानसून में तो लोग घर से निकलना ही पसंद नहीं करते, और इस तपती गर्मीं में पानी को बर्बाद करके कुछ समय मौज करना ज्यादा अच्छा समझते हैं।
Saturday, June 20, 2009
make world a better place to live
दोस्तों
दुनिया की दुश्वरीयाँ छोड़कर क्यों न हम इस जहाँ को बेहतर तरीके से रहने लायक बनायें। इसके लिए हमें अपने कल को छोड़कर आज पर ज्यादा ध्यान देना होगा। आज अच्छा होगा तो कल तो अपने आप ही सुधर जाएगा।
दुनिया की दुश्वरीयाँ छोड़कर क्यों न हम इस जहाँ को बेहतर तरीके से रहने लायक बनायें। इसके लिए हमें अपने कल को छोड़कर आज पर ज्यादा ध्यान देना होगा। आज अच्छा होगा तो कल तो अपने आप ही सुधर जाएगा।
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