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Sunday, February 12, 2023

टेक्नोलॉजी ने खत्म कर दिया रेडियो का दौर




- रेडियो रखने के लिए जारी होता था लाइसेंस


- पेनड्राइव के आने के बाद तेजी से खत्म हुआ रेडियो का दौर


एक जमाना था जब लोग रेडियो को रखना एक फक्र की बात हुआ करती थी । अंग्रेजों के जमाने में रेडियो जानकारी और मनोरंजन का एकमात्र साधन हुआ करता था, जिसको रखने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता पड़ती थी। वह दौर भी अनोखा था जो अब सिर्फ यादें बनकर रह गया है। समय के साथ बेहतर होती टेक्नोलॉजी ने रेडियो को लोगों की जिंदगी से दूर कर दिया है।


सन 1940 से रेडियो का दौर भारत में शुरू हुआ। जिनके यहां रेडियो होता था उनके यहां पर आसपास के लोग पर कार्यक्रमों को सुनने के लिए कामकाज छोड़ कर बैठ जाते थे। पहले मोहल्ले में एक ही रेडियो हुआ करता था क्योंकि उसे रखने के लिए एक लाइसेंस की आवश्यकता होती थी, जिसके लिए ₹15 साल का शुल्क देना होता था। अंग्रेजों के दौर में हर किसी को रेडियो रखने की व जानकारी आदान प्रदान करने की आजादी नहीं थी। यह रेडियो कुछ विशेष व्यक्ति ही रख सकते थे। इसीलिए लाइसेंस का प्रावधान रखा गया था । यह लाइसेंस रेडियो खरीदने के बाद दुकान की रसीद को दिखाकर डाकखाना जारी करता था और शुल्क भी वही जमा होते थे । यह लाइसेंस 1968 तक जारी होते रहे उसके बाद जब रेडियो आमजन तक पहुंचने लगा तो इसको खत्म कर दिया गया। इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि उनके पिताजी स्वर्गीय चंद्र किशोर शर्मा के पास रेडियो का लाइसेंस था। वह एक वकील थे इसलिए विशिष्ट व्यक्तियों की श्रेणी में आते थे और उन्हें रेडियो रखने की छूट थी।


ताज नगरी कला की भी नगरी रही है इस वजह से यहां पर रेडियो के दीवाने भी बहुत रहे। हींग की मंडी में तो पूरा बाजार ही रेडियो की बिक्री करता था। सन 80 के दशक में हींग की मंडी में करीब 50 रेडियो की दुकानें हुआ करती थी जहां पर सिर्फ रेडियो की खरीद-फरोख्त हुआ करती थी। अभी भी बाजार में रेडियो दुरुस्त करने की दो तीन दुकानें हैं जहां पर इक्का-दुक्का लोग अपने पुराने रेडियो सेट को सही कराने आ जाते हैं। लेकिन समय के साथ रेडियो लोगों की जिंदगी से पूरी तरह गायब हो गया है। रेडियो के व्यापारी बताते हैं कि सन 2000 के आसपास जब पेन ड्राइव बाजार में आया तो रेडियो तेजी से खत्म होने लगा। यही नहीं जब से गांवों में बिजली पहुंची तब से भी रेडियो की सेल पर बहुत फर्क पड़ा। अब कुछ गिने-चुने ग्राहक ही रेडियो को खरीदते हैं और उसमें भी ज्यादातर उम्र दराज लोग ही होते हैं। रेडियो सेट बनाने वाली नामी कंपनियों ने इसका उत्पादन बंद कर दिया है। अब सिर्फ दिल्ली में बने रेडियो सेट ही बिकते हैं जिन का रेट 500 से ₹600 के बीच में होता है।